एक
एक नाम लिखा होता है
एक अस्पष्ट -सा चित्र बना होता
जिसमें कई चेहरे होते हैं
कोई भी चेहरा साबुत नहीं
कुछ जरूरी शब्द धुंधलाए
पिघल गए होते हैं खारे पानी से
वह जीवन भर रहती है
एक गंदे पोटले में
एक पागल आदमी की चिट्ठी
कभी पोस्ट नहीं होती...।
दो
पागल आदमी की चिट्ठी में
प्रेम नहीं लिखा होता
प्रेम की जगह एक लिपि अंकित होती है
उसे आप ब्राह्मी, खरोष्ठी या कैथी से तुलना नहीं कर सकते
वह एक अन्य ही लिपि होती है
समझने की शक्ति जिसे दुनिया के सारे भाषाविद खो चुके हैं
पागल आदमी की लिपि को
एक नाम लिखा होता है
एक अस्पष्ट -सा चित्र बना होता
जिसमें कई चेहरे होते हैं
कोई भी चेहरा साबुत नहीं
कुछ जरूरी शब्द धुंधलाए
पिघल गए होते हैं खारे पानी से
वह जीवन भर रहती है
एक गंदे पोटले में
एक पागल आदमी की चिट्ठी
कभी पोस्ट नहीं होती...।
दो
पागल आदमी की चिट्ठी में
प्रेम नहीं लिखा होता
प्रेम की जगह एक लिपि अंकित होती है
उसे आप ब्राह्मी, खरोष्ठी या कैथी से तुलना नहीं कर सकते
वह एक अन्य ही लिपि होती है
समझने की शक्ति जिसे दुनिया के सारे भाषाविद खो चुके हैं
पागल आदमी की लिपि को
समझता है एक दूसरा पागल आदमी
और बहुत ऊंचे स्वर में रविन्द्रनाथ का लिखा
कोई एक बाऊल गीत गाता है
गाते हुए उसके गले की नीली नसें
फूल कर मोटी हो जाती हैं
वह हर रात सोने के पहले
कागज के कई टुकड़े निकालता है
तसल्ली करता है कि वे सभी साबुत और जिंदा हैं
बाद इसके वह झर-झर रोता है
पोंछता है खुद अपने आंसू
कई पुराने कागज के टुकड़े उसके चारों ओर खड़े हो जाते हैं
इबाबत की मुद्रा में
पागल आदमी के रोने की आवाज
दुनिया का एक भी आदमी नहीं सुनता..।
और बहुत ऊंचे स्वर में रविन्द्रनाथ का लिखा
कोई एक बाऊल गीत गाता है
गाते हुए उसके गले की नीली नसें
फूल कर मोटी हो जाती हैं
वह हर रात सोने के पहले
कागज के कई टुकड़े निकालता है
तसल्ली करता है कि वे सभी साबुत और जिंदा हैं
बाद इसके वह झर-झर रोता है
पोंछता है खुद अपने आंसू
कई पुराने कागज के टुकड़े उसके चारों ओर खड़े हो जाते हैं
इबाबत की मुद्रा में
पागल आदमी के रोने की आवाज
दुनिया का एक भी आदमी नहीं सुनता..।
तीन
लिखा होता है एक देश का नाम
और ऐन उसके उपर रस्सियों से बंधी
पेड़ पर झूलती
एक किसान की लाश आंकी हुई
पास उसके हंसते हुए
खाए अघाए लोग
चार
और ऐन उसके उपर रस्सियों से बंधी
पेड़ पर झूलती
एक किसान की लाश आंकी हुई
पास उसके हंसते हुए
खाए अघाए लोग
भाषण देते-बहस करते
जिनके नीचे लिखा होता है -
सम्मानित नागरिक
पागल आदमी की चिट्ठी में
लाश की तस्वीर
चमकती है सबसे तेज
और सम्मानित नागरिकों के चेहरे पर
कालिख पुती होती है...
जिनके नीचे लिखा होता है -
सम्मानित नागरिक
पागल आदमी की चिट्ठी में
लाश की तस्वीर
चमकती है सबसे तेज
और सम्मानित नागरिकों के चेहरे पर
कालिख पुती होती है...
चार
पागल आदमी की चिट्ठी में
फूल नहीं होते
हंसती हुई लड़की नहीं होती
नौकरी की एक अर्जी जैसा कुछ
आत्महत्या के ऐन पहले का लिखा एक नोट
मां की गरीबी का एक गीत
पसीने जैसे खून में लथराए
फूल नहीं होते
हंसती हुई लड़की नहीं होती
नौकरी की एक अर्जी जैसा कुछ
आत्महत्या के ऐन पहले का लिखा एक नोट
मां की गरीबी का एक गीत
पसीने जैसे खून में लथराए
पिता के विवश शब्द
देस की ओर जाती रेल गाडी की सीटी
कच्ची सड़क पर एक घोड़ागाड़ी
सबसे प्राचीन गांव की ओर
बहुत तेज गति में दौड़ती
घर से भागती एक लड़की
धड़कता-कांपता दिल
और भीतर से उठती
बढियायी हुई एक नदी
एक औरत की पत्थर हो गई आंख
एक मजदूर का छिल गया कंधा
नौकरी से बेदखल घर की ओर लौटता
लड़खड़ाता हुआ एक युवा
बिसुरते हुए बूढ़े
और देस छोड़कर भागती
एक हुजूम
सब होते हैं पागल आदमी की चिट्ठी में
पागल आदमी की चिट्ठी में
नींद नहीं होती
असंभव सपने होते हैं....।
देस की ओर जाती रेल गाडी की सीटी
कच्ची सड़क पर एक घोड़ागाड़ी
सबसे प्राचीन गांव की ओर
बहुत तेज गति में दौड़ती
घर से भागती एक लड़की
धड़कता-कांपता दिल
और भीतर से उठती
बढियायी हुई एक नदी
एक औरत की पत्थर हो गई आंख
एक मजदूर का छिल गया कंधा
नौकरी से बेदखल घर की ओर लौटता
लड़खड़ाता हुआ एक युवा
बिसुरते हुए बूढ़े
और देस छोड़कर भागती
एक हुजूम
सब होते हैं पागल आदमी की चिट्ठी में
पागल आदमी की चिट्ठी में
नींद नहीं होती
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